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आंखों में दाद (आई शिंगल्स) ऐसी बीमारी है, जो एक वायरस के कारण होती है। आमतौर पर इस बीमारी में छालों की एक पट्टी दिखाई देती है, जिसके इलाज में एंटी-वायरल दवाओं के इस्तेमाल से मदद मिलती है।
‘शिंगल्स’ एक लैटिन शब्द है, जिसका मतलब बेल्ट होता है। यह एक वायरल बीमारी है, जो नर्व गैन्ग्लिया की दर्दनाक तेज सूजन के कारण होती है, जिसके परिणामस्वरूप आपकी त्वचा पर चकत्ते का निर्माण होता है। यह त्वचा के फटने और शरीर के चारों तरफ एक गिर्डल बनने के कारण बनती है। यह वैरीसेला-जोस्टर वायरस की वजह से होता है, जो किसी व्यक्ति में चिकनपॉक्स पैदा करने के लिए भी जिम्मेदार होता है। दाद के दाने तरल पदार्थ से भरे ब्रिसल्स की एक पंक्ति के रूप में उभरते होते हैं, जो शरीर के धड़ के दोनों तरफ दिखाई देते हैं।
आंख के अंदर और आसपास दिखाई देने वाला दाद आंख में एक दाने की तरह दिखाई है, जिसके इस प्रकार को ऑप्थेल्मिक हर्पीस ज़ोस्टर या हर्पीस ज़ोस्टर ऑप्थेल्मिकस कहते हैं। यह वायरस पहले चेचक का सामना कर चुके मरीज़ों के शरीर के अंदर निष्क्रिय रहता है, लेकिन एक निश्चित समय के बाद यह वायरस दाद यानी आंखों के आसपास चकत्ते या छाले के रूप में फिर से निकलने लगते हैं।
अगर आपकी आंख में दाद है, तो आपकी पलकों, माथे और नाक के सिरे या किनारे पर दाने बन जाएंगे। यह दाने त्वचा के लाल चकत्ते के साथ या त्वचा के दानें चले जाने के हफ्तों बाद भी दिखाई दे सकते हैं। यह लक्षण कुछ लोगों की आंखों में ही होते हैं, जिनमें आपको दानों के साथ निम्नलिखित अहसास हो सकता है, जैसे:
आपको आंखों के कुछ हिस्सों में सूजन भी हो सकती है, जैसे:
अगर आपको इनमें से एक या ज़्यादा लक्षण हैं, तो अपने प्राथमिक देखभाल चिकित्सक या नेत्र विशेषज्ञ से संपर्क करें। जल्द या समय पर इलाज करवाने से आपको लंबे समय तक होने वाली समस्याओं की संभावना को कम किया जा सकता है।
दाद यानी शिंगल्स वेरिसेला-जोस्टर वायरस के कारण होने वाली एक ऐसी बीमारी है, जो शरीर और कभी-कभी चेहरे पर दर्दनाक चकत्ते का कारण बनती है। यही वायरस चेचक का कारण बनता है और चिकनपॉक्स होने के बाद आपके सिस्टम में रहता है, जिसके दशकों बाद दाद के रूप में भी देखा जा सकता है।
बचपन के समय चिकनपॉक्स का सामना कर चुके व्यक्तियों में इस दाद से प्रभावित होने की सबसे ज़्यादा संभावना होती है। इसका कारण यह है कि इलाज से यह वायरस का निष्क्रिय अवस्था में चला जाता है। यह वायरस इम्यून सिस्टम से छिपे एक निष्क्रिय रूप में रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क के बीच तंत्रिका गैन्ग्लिया में निहित होता है, जो दाद के रूप में फिर से सक्रिय हो सकता है। पचास साल से ज़्यादा उम्र के लोगों में भी यह बीमारी होने का खतरा होता है, क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कार्य करने की अपनी क्षमता खो देती है।
यह उन लोगों के शरीर में इम्यून सिस्टम के प्रभाव को कम कर देती है, जो कीमोथेरेपी (कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाले) जैसे किसी भी उपचार से गुजर रहे होते हैं। इस बीमारी का असर उन लोगों में भी ज़्यादा देखने को मिलता है, जो एचआईवी, एड्स जैसी बीमारियों या उपचार की ज़रूरत वाली किसी भी बीमारी से पीड़ित हैं और ऐसे लोग ही दाद के अधीन होते हैं। गर्भवती महिलाओं और समय से पहले शिशुओं में भी इस दाद की संभावना होती है।
दाद लोगों के अन्य समूहों के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
दाद से जुड़ी कई जटिलताएं होती हैं. जैसेः
दाद के कारण बनने वाले छाले या चकत्ते उपचार के बाद ठीक हो सकते हैं, लेकिन इसका दर्द कई महीनों तक महसूस किया जा सकता है, जबकि निशान ठीक होने में हफ्तों लग जाते हैं। आमतौर पर यह तब होता है, जब कोई व्यक्ति आंखों के आसपास दाद से पीड़ित होता है। शुरुआती अवस्था में आंखों की जांच नियमित करवानी चाहिए और उपचार के बाद ग्लूकोमा या आंखों से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए हर तीन महीने आंखों की जांच करवाना बेहद ज़रूरी है।
आमतौर पर यह शरीर की सतह पर दिखाई देता है, लेकिन पलकों पर चकत्ते का दिखना दाद का प्रभाव है। यह एक गंभीर स्थिति है और यह चकत्ते आंखों के चारों तरफ गंभीर दर्द का कारण बनते हैं। इसमें रुक-रुक होने वाले दर्द के साथ दृष्टि की समस्याएं, आंखों में पानी, आंखों के चारों तरफ लालपन, माथे पर और पलकों के आसपास या नाक के दोनों तरफ छाले दिखाई देते हैं। साथ ही इन रैशेज से आंखों की रोशनी और धुंधली दृष्टि के प्रति संवेदनशीलता का बढ़ना, आंखों के आसपास जलन और खुजली भी हो सकती है। तीव्र सूजन यानी आंख के कुछ हिस्सों, जैसे रेटिना, पलक और कॉर्निया की सूजन भी आंख में दाद के प्रभावों में से एक है।
दाद के टीके से इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि कोई इससे बिल्कुल भी प्रभावित नहीं होगा। इसका इस्तेमाल सिर्फ बीमारी की गंभीरता को कम करने, पोस्टहरपैटिक न्यूरोग्लिया और दृष्टि की हानि जैसी अन्य जटिलताओं के जोखिम को कम करने के लिए किया जाता है। कहा जाता है कि रोकथाम इलाज से बेहतर है, इसलिए हमेशा एक ज़्यादा अनुकूल विकल्प के बारे में विचार करना चाहिए।
दाद को रोकने के लिए किसी ऐसे व्यक्ति के साथ नज़दीकी संपर्क से बचने की कोशिश करें, जिसे कभी चिकनपॉक्स नहीं हुआ हो। यह संक्रमण के दौरान खासतौर से तब ज़रूरी है, जब आपकी त्वचा पर छाले होते हैं। जिस व्यक्ति को कभी चिकनपॉक्स नहीं हुआ है, उसे इसके कारण वैरीसेला-जोस्टर वायरस हो सकता है। कुछ चीजों का खासतौर से ध्यान रखा जाना चाहिए, जैसे:
शरीर, आंखों के क्षेत्र और उसके आसपास छाले या चकत्ते देखकर इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है। लगातार दर्द, लालपन, उतावलापन और खुजली जैसे लक्षण इस बीमारी के जल्द पता लगाने में मदद कर सकते हैं। फफोले खुलने के बाद निकलने वाला तरल पदार्थ भी दाद के निदान में सहायक होता है
आमतौर पर दाद को अन्य त्वचा की बीमारियों या एलर्जी के लिए गलत माना जा सकता है, क्योंकि उनके लक्षण और प्रभाव यानी दाने एक जैसे होते हैं। पित्ती, एक्जिमा और सोरायसिस जैसी त्वचा संबंधी बीमारियों को अक्सर दाद के रूप में गलत माना जाता है और ऐसे में दाद को लेकर डॉक्टर से परामर्श करना बेहद ज़रूरी है। ऐसे मामले में नेत्र विशेषज्ञ निम्नलिखित चीज़ों की जांच करेंगे:
इन जांच के ज़रिए नेत्र विशेषज्ञ वायरस से होने वाली सूजन और नुकसान का पता लगाएंगे।
दाद के उपचार में एंटीवायरल दवाओं के इस्तेमाल की ज़रूरत होती है, क्योंकि वह बीमारी के जोखिम को कम करके जल्द ठीक होने में मदद करते हैं। दाने दिखने के तीन दिनों के अंदर इन दवाओं का सेवन सबसे प्रभावी ढंग से काम करता है। उपचार के लिए सुझाई गई कुछ दवाएं इस प्रकार हैं:
आंखों के उपचार में दाद के लिए दवाएं
अगर दाद का इलाज नहीं किया जाता है, तो वह पहले से ज़्यादा गंभीर हो सकते हैं। यह निमोनिया, सूजन, स्ट्रोक और जीवाणु संक्रमण का कारण बन सकता है, जो बीमारी की गंभीरता को बढ़ाता है।
आंख में दाद के लिए वैक्सीन
हाल ही में एफडीए ने शिंग्रिक्स को ज़ोस्टावैक्स की तुलना में एक प्रभावी वैक्सीन बताया है, जो अन्य टीके ते मुकाबले में लगभग 90 प्रतिशत ज़्यादा प्रभावी है। शिंग्रिक्स 5 साल से ज़्यादा समय तक इस बीमारी से सुरक्षा प्रदान करता है। यह पचास साल से ज़्यादा उम्र वाले उन लोगों के लिए भी मददगार है, जो दाद से पीड़ित हैं और दाद के जोखिम कारकों को भी कम करते हैं। दो से छह महीने के अंतराल में इसकी दो खुराक में दी जाती है।
दाद वाले 10 से 20 प्रतिशत लोगों की आंख के अंदर और आसपास दाने दिखाई देते हैं। इस प्रकार के दाद को हर्पीज ज़ोस्टर ऑप्थेल्मिकस के नाम से भी जाना जाता है, जो आंख की चोट, दृष्टि की हानि और लंबे समय तक रहने वाली अन्य समस्याओं का कारण बन सकता है। अगर आप 50 साल से ज़्यादा उम्र के हैं, तो टीका लगवाकर आप आंखों के दाद और उनसे होने वाली समस्याओं को भी रोक सकते हैं।
अपनी आंखों के इलाज का सबसे अच्छा तरीका है कि आप नेत्र देखभाल पेशेवर के पास जाएं और नियमित रूप से अपनी आंखों की नियमित जांच करवाएं। एक नेत्र देखभाल पेशेवर ही आपकी आंखों के इलाज का सर्वोत्तम तरीके से आंकलन करने में सक्षम है। अधिक जानकारी के लिए आप आई मंत्रा की वेबसाइट eyemantra.in पर जा सकते हैं।
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