Contents
- 1 अनिसोमेट्रोपिया रिफ्रैक्टिव पॉवर – Anisometropia Refractive Power
- 2 अनिसोमेट्रोपिया के लक्षण – Anisometropia Ke Lakshan
- 3 अनिसोमेट्रोपिया के कारण – Anisometropia Ke Kaaran
- 4 बच्चों में अनिसोमेट्रोपिया का पता कैसे लगाएं? Bachchon Me Anisometropia Ka Pata Kaise Lagaein?
- 5 अनिसोमेट्रोपिया के प्रकार – Anisometropia Ke Prakaar
- 6 निष्कर्ष – Nishkarsh
अनिसोमेट्रोपिया रिफ्रैक्टिव पॉवर – Anisometropia Refractive Power
मनुष्य का जन्म उन आँखों के साथ होता है, जिनकी ऑप्टिकल पॉवर अगल-अलग होती है, जबकि कुछ मामलों में ऑंखों की ऑप्टिकल पॉवर एकसमान होती है। अनिसोमेट्रोपिया (Anisometropia) मूलरूप से एक ऐसी अवस्था है, जिसमें दो ऑंखों में असमान रिफरैक्टिव पावर होती है यानी एक निकट-दृष्टि (myopic), तो दूसरी दूरदृष्टि (hyperopic) या एक ऑंख का विज़न दूसरी से ज़्यादा मजबूत हो सकता है।
नवजात और छोटे बच्चों में इसे एक चिंता का कारण माना गया है। ऐसी स्थिति में ऑंखें दो ऑंखों से आने वाली छवि में अंतर नहीं कर पाती हैं। इससे एक ऑंख से आने वाली छवि को जन्म से वरीयता मिलने के कारण दूसरी ऑंख से बनने वाली छवि दब जाती है, जिसका परिणाम कभी-कभी धुंधली दृष्टि के तौर पर देखा जाता है।
ग्रीक भाषा से लिये गये अनिसोमेट्रोपिया (Anisometropia) शब्द का छोटे और सरल भाग में तोड़ने पर-
“एक”(An) का अर्थ है “नहीं”(not); “आईएसओ”(iso) का अर्थ है “बराबर”(equal); “मीटर”(meter) का अर्थ है “मापना”(to measure); और “ओपिया”(opia) का अर्थ है “दृष्टि”(vision)। सामूहिक रूप (collective form) से इसका अर्थ दोनों ऑंखों की रिफ्रैक्टिव पॉवर का असमान होना है, जबकि इसका विपरीत शब्द “आइसोमेट्रोपिया” है जिसका अर्थ है दोनों ऑंखों की रेफ्रेक्टिव पॉवर का बराबर होना।
अनिसोमेट्रोपिया के लक्षण – Anisometropia Ke Lakshan
- एम्ब्लियोपिया (Amblyopia)- एम्ब्लियोपिया (Amblyopia) को “आलसी ऑंख” (lazy eye) या मंद दृष्टि के नाम से भी जाना जाता है। इसमें दिमाग केवल एक ऑंख से इमेज बनाता है। इसकी वजह से दूसरी ऑंख का विज़न कमजोर हो जाता है और दिमाग धीरे-धीरे कमजोर नजर से दिखने वाली इमेज को इग्नोर करने लगता है।
- स्ट्रैबिस्मस (Strabismus)- स्ट्रैबिस्मस को दूसरे शब्दों में ‘क्रॉस आई’ (crossed eye) भी कहा जाता है, जिसमें आप अपनी ऑंखों को अलाइन नहीं रख पाते। समन्वय का अभाव यानि लैक ऑफ कॉर्डिनेशन आँखों को एक वक्त में किसी वस्तु पर ध्यान केंद्रित नहीं करने देता।
- डिपलोपिया (Diplopia)- इसमें दिमाग ‘दोहरी दृष्टि’ विकसित करके दोहरी छवि बनाना शुरु करने लगता है। दोहरी दृष्टि से भ्रम पैदा होता है, जो आगे चलकर ऑंखों में खिंचाव (eyestrain), सिरदर्द (headaches), मितली (nausea), प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता की बड़ी वजह बन सकता है। शुरुआत में आप एक ऑंख से बनी छवि को दूसरी की तुलना में धुधले पाएंगे। मरीज़ को एक ऑंख से बनाई गई छवि दूसरे की तुलना में छोटी दिखाई देंगी, जिसके कारण कभी-कभी विज़न डबल होता है। कुछ मामलों में जन्म से ही बच्चों में अनिसोमेट्रोपिया देखा जाता है। ऐसे में बच्चे की ऑंखों की गति, धीरे-धीरे लगातार सिरदर्द और धुंधली दृष्टि पर ध्यान देना पेरेंट्स की जिम्मेदारी है। शुरुआती दौर में प्रत्येक बच्चे को ऑंखों की जांच से लक्षणों की पहचान के लिए नेत्र रोग विशेषज्ञ के ज़रुर ले जाना चाहिए।
- चित्रण (Illustration)- मनुष्य की दोनों आँख में 5% की रिफ्रेक्टिव पॉवर का अंतर होता है। हालांकि, इस अंतर में 5% से बढ़ोतरी होने पर मरीज़ असमान दृष्टि का अनुभव करेगा। दोनों आँखों के बीच का आवर्धन असमान होने से व्यक्ति के लिए दोनों आँखों से छवि को एक साथ मिलाना कठिन हो जाता है। आप इस उदाहरण के ज़रिए इसे आसानी से समझ सकते हैं-
- परिणाम (Result)- स्क्रीन पर दी गई छवि में आप दिमाग द्वारा बनाई गई छवि में दोहरी दृष्टि पाएंगे।
- कारण (Reason)- दोनों आँखों के बीच आवर्धन का अंतर संख्या में बड़ा है, जिसकी वजह से दिमाग एक उचित छवि नहीं बना पाता है और एक आँख से बनने वाला प्रतिविंब दूसरी की तुलना में बड़ा होता है। दिमाग सिर्फ 6% के बेमेल को सहन कर सकता है जो 3 (डी) डायोप्टर (Dioptre) के बराबर है। इससे ज़्यादा बढ़ने पर दिमाग डबल विज़न या या धुंधली छवि बनाना शुरू कर देगा।
अनिसोमेट्रोपिया के कारण – Anisometropia Ke Kaaran
रिसर्च के मुताबिक अनिसोमेट्रोपिया के लिए एक निश्चित कारण नहीं माना जा सकता, लेकिन अलग रिफ्रैक्टिव पॉवर का आई विज़न अनिसोमेट्रोपिया के लिए एक मुख्य कारक हो सकता है। आमतौर पर दोनों ऑंखों की अपवर्तक त्रुटियों (refractive errors) में 5% का अंतर देखा जाता है, लेकिन इसका प्रतिशत दर बढ़ने से आपकी ऑंखों में अनिसोमेट्रोपिया विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।
अनिसोमेट्रोपिया में आपको एक ऑंख से बड़ी और दूसरी से छोटी इमेज दिखेगी, जिसकी वजह से एक ऑंख दूसरी से कमजोर हो जाती है और दिमाग एक ऑंख से बनाई गई इमेज पर प्रतिक्रिया करता है, जो एक साफ छवि बनाता है।
अनिसोमेट्रोपिया से आपको खराब गहराई धारणा (poor depth perception), चक्कर आना (dizziness), सिरदर्द (headaches) और दृश्य असुविधा (visual discomfort) जैसा अनुभव हो सकता है।
बच्चों में अनिसोमेट्रोपिया का पता कैसे लगाएं? Bachchon Me Anisometropia Ka Pata Kaise Lagaein?
अनिसोमेट्रोपिया के प्रकार – Anisometropia Ke Prakaar
- सिंपल अनिसोमेट्रोपिया (Simple Anisometropia)- सिंपल अनिसोमेट्रोपिया में आपको एक ही अपवर्तनांक (refractive index) का पता चल सकेगा। इसमें आपकी कोई भी ऑंख दूरदर्शी (hyperopic) या नज़दीकी (myopic) सकती है, जिसका इलाज नेत्र रोग विशेषज्ञ (ophthalmologist) निर्धारित चश्मे के ज़रिए करते हैं।
- कम्पाउंड अनिसोमेट्रोपिया (Compound Anisometropia)- इसमें आप अपनी दोनों ऑंखों में दूरदृष्टि (hyperopic) या निकट दृष्टिदोष (myopic) का विकार(disorder) जान सकते हैं, लेकिन दोनों ऑंखों में अपवर्तक त्रुटियों (refractive errors) में अंतर होने की वजह से एक अलग तरीके का प्रयोग करना होता है। ऐसे अनिसोमेट्रोपिया में एक ऑंख दूसरी ऑंख के मुकाबले ज़्यादा ब्लर इमेज बनाएगी।
- मिक्स्ड अनिसोमेट्रोपिया (Mixed Anisometropia)- इसमें आपको दोनों ऑंखों में अपवर्तक त्रुटियां (refractive errors) देखने को मिलेंगी, लेकिन एक निकट दृष्टि वाला (myopic), जबकि दूसरा दूरदर्शी (hyperopic) होगा।
निष्कर्ष – Nishkarsh
अपनी ऑंखों के इलाज का सबसे अच्छा तरीका है आई केयर प्रौफेशनल्स द्वारा ऑंखों की नियमित जांच। आई प्रौफेशनल्स आपकी ऑंखों की बीमारी के इलाज का सर्वोत्तम तरीका बताएंगे।
अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट eyemantra.in पर जाएं। आई मंत्रा के साथ अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए +91-9711115191 पर कॉल करें या [email protected] पर ईमेल करें। हमारी अन्य सेवाओं में रेटिना सर्जरी, स्पेक्स रिमूवल, मोतियाबिंद की सर्जरी आदि शामिल है।
संबंधित लेख: