भूरी आँखें (ब्राउन आइज़): लक्षण, कारण और रिस्क – Bhoori Aankhein (Brown Eyes): Lakshan, Karan Aur Risk

Brown eyes Personality

भूरी आँखें/ब्राउन आइज़ क्या हैं? Bhoori Aankhein/Brown Eyes Kya Hain?  

ऑंख के रंगीन भाग को आईरिस (Iris) कहते हैं, जिसमें कलर मेलेनिन नाम के पिगमेंट (Pigment) से आता है और यही पिगमेंट आपकी स्किन के रंग का कारण भी बनता है। मेडिकल एक्सपर्ट्स के दावों के मुताबिक जलवायु के अस्तित्व में आने से पहले हर कोई ऐसे समय में रहता था जब मौसम के हमेशा धूपभरा रहने से हर किसी की ऑंखें भूरी और आईरिस का रंग गहरा होता था। यह ऑंखों को पराबैंगनी किरणों और तेज धूप से होने वाले किसी भी नुकसान से बचाता था।

ऐसा कहा जाता है कि दुनिया भर में लगभग 55% से 79% लोगों की ऑंखों का रंग भूरा है। अफ्रीका, पूर्वी एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में गहरा भूरा रंग आम है, जबकि मुख्य रूप से पश्चिम एशिया, अमेर्सिया और यूरोप जैसे क्षेत्रों में हल्की भूरी ऑंखें पाई जाती हैं। 

brown eyes

भूरी ऑंखों के लक्षणBhoori Aankhon Ke Lakshan 

अध्ययनों से पता चला है कि आपकी ऑंखें आपके व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ बताती हैं। यह रमानी दरवौशला, पीएचडी, एक लाइसेंस प्राप्त मनोवैज्ञानिक, मनोविज्ञान के प्रोफेसर ने भी लिखा है- “भूरी आँखें ज़्यादा सामान्य हैं, जिसे लेकर लोगों का मानना है कि काली और भूरी ऑंखों वाले लोग ज़्यादा फिट होते हैं, जहां सहमतता जैसी खासियत को नीली ऑंखों वाली संस्कृतियों से ज़्यादा सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से महत्व दिया जाता है।”

भूरी ऑंखों वाले लोगों से जुड़ा पहला बुद्धिमान, दूसरा भरोसेमंद और आखिरी गुण दयालु होना था।

कुछ रिसर्च से साबित हुआ कि भूरी ऑंखों वाले लोगों का आई कॉन्टैक्ट अलग रंग की ऑंखों वाले लोगों से ज़्यादा मजबूत होता है।

भूरी आँखों का क्या कारण है? Bhoori Aankhon Ka Kya Karan Hai?

ऑंखों का रंग एक विरासत में मिला हुआ गुण है, क्योंकि इसमें यह निर्धारित नहीं कर सकते कि आपके माता-पिता की ऑंखों का जो रंग है,  उनके बच्चे की ऑंखों का रंग भी वही होगा। वास्तव में 16 जीन तक आपकी ऑंखों के रंग को प्रभावित करते हैं, इसलिए एक ही परिवार के बच्चों की ऑंखों का रंग अलग होने की बहुत अधिक संभावना है।

ऑंखों के रंग से जुड़े जीन मेलेनिन (जो ऑंखों के रंग के लिए जिम्मेदार हैं) के परिवहन (ट्रांसपोर्ट), भंडारण (स्टोरेज) और उत्पादन (प्रोडक्शन) में काम करते हैं।

कुछ लोगों में ऑंखों का नीला रंग आईरिस में मेलेनिन की कमी से होता है, जबकि मेलेनिन के थोड़ा ज़्यादा होने से ऑंखों का रंग हरा, हेज़ल या लाइट होता है। वहीं मेलेनिन की हाई कंसंट्रेशन के कारण ऑंखों का रंग गहरा भूरा हो जाता है। 

कोकेशियान (Caucasian) बच्चों के आइरिस में मेलेनिन की थोड़ी मात्रा होने से जीवन के पहले कुछ महीनों में उनकी ऑंखों का रंग नीला हो जाता है, लेकिन 12 से 18 महीनों के बाद उनकी ऑंखों में ज़्यादा मेलेनिन जमा हो जाने से ऑंखों का रंग नीले से हरा या हेज़ल से भूरा हो जाता है।

भूरी ऑंखों के फायदे – Bhoori Aankhon Ke Fayde  

भूरी ऑंखों वाले लोग उस भीड़ का हिस्सा हैं, जिनकी ऑंखों का रंग एक जैसा है, उन्हें इसके मूल्यवान और अनोखे होने का अहसास नहीं है। 

यहां भूरी ऑंखों वाले लोगों को उनकी ऑंखों के रंग का महत्व समझाने के लिए कुछ बिंदु दिए गए हैं, जो इसे साबित करने में मदद करेंगे, जैसे- 

सूरज से नुकसान की कम संभावना

जिन लोगों की ऑंंखों का रंग हल्का होता है, उनकी तुलना में डार्क आई कलर वाले लोगों को सूरज से नुकसान की संभावना कम होती है, क्योंकि हल्के रंग वाली ऑंखों की तुलना में डार्क ऑंखों में ज़्यादा मेलेनिन होता है जो पराबैंगनी (Ultraviolet-UV) किरणों के खिलाफ त्वचा और ऑंखों के लिए सुरक्षा के रूप में काम करता है।

UV rays

नेत्र रोगों की कम संभावना  

मोतियाबिंद जैसी बीमारियां ज्यादातर मैकुलर जेनरेशन को यूवी किरणों (UV rays) की वजह से होती हैं, क्योंकि भूरी ऑंखों में मेलेनिन अधिक होता है। ऐसे में ऑंखों से जुड़ी बीमारियां होने की गुंजाइश कम होती है। 

रंग के अलग-अलग प्रकार

लोगों को उनकी ऑंखों के रंग और त्वचा के आधार पर समूहों में बांटा जाता है, लेकिन भूरे रंग की खासियत है लोगों के भूरे रंग के अलग-अलग रंग, फिर भले ही वह एक ही परिवार का सदस्य हों।

आपकी ऑंखों का रंग हल्के शहद के रंग से काले रंग में बदल सकता है, इसलिए भूरे रंग की ऑंखों वाला हरेक व्यक्ति अपनी टर्म्स में अलग होता है।

eye color

क्या ऑंखों के रंग से हेल्थ रिस्क होता है? Kya Aankhon Ke Rang Se Health Risk Hota Hai?

कहते हैं कि ऑंखें आपके बारे में बहुत कुछ कहती हैं, लेकिन यही आपकी हेल्थ के बारे में भी बहुत कुछ बता सकती हैं। स्टडी में दिये सुझाव की मानें, तो ऑंखों का रंग हेल्थ रिज़ल्ट और रिस्क का अंदाज़ा लगा सकता है। कैंसर एपिडिमायलॉजी (Cancer Epidemiology) में पब्लिश स्टडी में बायोमार्कर और गहरे रंग की आइरिस की रोकथाम स्किन कैंसर के कम रिस्क का इशारा दे सकती है।  

भूरी ऑंखों से जुड़ी बातें – Bhoori Aankhon Se Judi Batein

भूरी आँखों या ब्राउन आइज़ से जुड़े कुछ फैक्ट्स और बातें निम्नलिखित हैं- 

ऑंखों के रंग का बदलना (Changing In Eye Color)

जन्म के समय ऑंखों की पुतली में मेलेनिन की कमी होने से आपकी ऑंखें नीले रंग की दिखती हैं। शारीरिक विकास के साथ आइरिस में मेलेनिन भी बढ़ने लगता है, जिसकी वजह से ऑंखें भूरी या हेज़ल हो जाती हैं। 

कभी-कभी वयस्कता के दौरान ऑंखों का रंग बदलने में कई साल लग जाते हैं। 

brown eyes shades

टाइप-1 डायबिटीज़ का कम रिस्क (Less Risk of Getting Type-1 Diabetes

डायबिटिक नेत्र रोग जैसे डायबिटिक रेटिनोपैथी, डायबिटिक मैक्युला एडिमा, मोतियाबिंद और ग्लूकोमा। समय के साथ डायबिटीज़ आपकी ऑंख को नुकसान पहुंचा सकता है, जो दृष्टि (विज़न) खराब या अंधेपन का कारण भी बन सकती है। भूरी ऑंखों वाले लोगों में डायबिटिक रोगों के चान्स कम होते हैं। 

फास्टर रिएक्शन टाइम (Faster Reaction Time) 

रिसर्च में गहरे रंग की ऑंखों वाले लोगों के पास एक ही उत्तेजना (single stimulus) के लिए तेज रिएक्शन टाइम होने की बात कही गई है, जो मेलेनिन के किसी तरह से जुड़ने के बारे में और परिवेश के प्रति आपकी कैसी प्रतिक्रिया होगी, इसका संकेत देता है।

वंशानुक्रम जीन्स (Inherited From Genes)

पहले वैज्ञानिक सोच के हिसाब से सिर्फ एक जीन से ऑंखों का रंग निर्धारित हो सकता है। कहते हैं कि 16 अलग-अलग जीन किसी की ऑंखों के रंग के लिए जिम्मेदार होते हैं। यही कारण है कि बच्चों की ऑंखों का रंग माता-पिता की ऑंखों के रंग से अलग होता है।

विश्वसनियता (Trustworthiness)

अगर आपकी आँखें भूरी हैं, तो आप दूसरों से ज़्यादा विश्वसनीय माने जाएंगे और स्टडी कहती है कि भूरी ऑंखों वाले लोगों में दूसरों को विश्वास दिलाने की भावना देने की संभावना ज़्यादा होती है। 

क्या आप भी आँखों की समस्याओं से परेशान है?

निष्कर्ष – Nishkarsh

आपकी ऑंखों के इलाज का सबसे अच्छा तरीका है कि आप नेत्र देखभाल पेशेवर के पास जाकर अपनी ऑंखों की नियमित जांच करवाएं। वह आपकी ऑंखों की बीमारी के इलाज का सर्वोत्तम तरीके से आंकलन कर सकेंगे।

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